दिल टूट टूट कर जुड़ता है
तुम्हें इत्तला करना चाहे , अपनी बात से ,
इसलिए हर राह पर ये रुकता है ,
टुकड़े ही सही , कोई बात नहीं ये,
दिल टूट टूट कर जुड़ता है।
कह दूँ कुछ या छोड़ दूँ यूँ ही ,
खामोश नज़ारा हर बात परखता है ,
बिखरे पन्ने ज़हनसीब नहीं ये ,
कदम हर मोड़ पर रुकता है।
रुकी हूँ , इस सवाल पर ,
कि तुम्हारी हर बात पर ,
क्युँ मेरा समां झुकता है ,
समझोगे तुम किसी दिन ये ,
दिल टूट टूट कर जुड़ता है ।।
Inspired from my friend, and room-mate : Meghna Saha Roy
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इसलिए हर राह पर ये रुकता है ,
Source: fineartamerica.com
टुकड़े ही सही , कोई बात नहीं ये,
दिल टूट टूट कर जुड़ता है।
बहुत प्यारी नज़्म ...