दिल टूट टूट कर जुड़ता है

तुम्हें  इत्तला करना चाहे , अपनी बात से ,
इसलिए हर राह पर ये रुकता है ,
टुकड़े ही सही , कोई बात नहीं ये,
दिल टूट टूट कर जुड़ता है। 

कह दूँ कुछ या छोड़ दूँ यूँ ही ,
खामोश नज़ारा हर बात परखता है ,
बिखरे पन्ने ज़हनसीब नहीं ये ,
कदम हर मोड़ पर रुकता है।  

रुकी हूँ , इस सवाल पर ,
कि तुम्हारी हर बात पर ,
क्युँ मेरा समां झुकता है ,
समझोगे तुम किसी दिन ये ,
दिल टूट टूट कर जुड़ता है ।।

 

Inspired from my friend, and room-mate : Meghna Saha Roy

Comments

Ankita Chauhan said…
impressive writing Vidi!
Unknown said…
un raho pr intjar kro. .beshak sham gujar jaye. .lafjo ko alfaj bnao. .shayad jajbat sanwar jaye. .shayad fir ek din wo soche khud hi. .q ye arman bikhrta h. .q hoti h khamosh nigaye. .q DIL TUT TUTKR JUDTA H. .nice lines vidisha
Vidisha Barwal said…
not nicer than yours indeed.... thanks :)
तुम्हें इत्तला करना चाहे , अपनी बात से ,
इसलिए हर राह पर ये रुकता है ,

Source: fineartamerica.com
टुकड़े ही सही , कोई बात नहीं ये,
दिल टूट टूट कर जुड़ता है।

बहुत प्यारी नज़्म ...

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