हमारी दोस्ती

नयी बातें ,
और मुस्कुराहटों पे टिके अपने दिन ,
बरसात में भीगी भीगी सी हमारी दोस्ती...

पंछियों सी उड़ान ,
और तारों की झिलमिल,
राह चलते फूलों सी महकी हमारी दोस्ती ...

देखना वो ठेले ,
और मस्त मेले की शाम ,
चाट जैसी चटपटी चखती हमारी दोस्ती ...

रूठे जो एक बार ,
दो बार मनाया
कच्चे धागे की डोर पे यूँ ठहरी हमारी दोस्ती ...

कुछ अन -बन ,
जाने क्यों , बात हो ना पायी ,
खामोशियों की सर्दी में ठिठुरती हमारी दोस्ती ...

अब इंतज़ार ,
गागर में पत्थर डलने का ,
यूँ रह गयी रूखी -सूखी सी हमारी दोस्ती ...

Comments

utkarsha jha said…
beautifully written :)
Abhishek Gujral said…
Simple, still.. Soothing.. :)
Apoorva Tikku said…
Choti choti baaton ki geheraai mein jaana,
Mirch waale golgappe khaana.
"Haan Main wahi hun"keh karshuru hui thi humari dosti <3

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