Posts

Showing posts from August, 2019

वो कहते हैं कि सरकार सड़क बढ़ा रही है...

Image
PART 1, 2013  -  याद ही है तेरी बस तूने देखा ? वो आँगन जिस पर हमने रंगोली बनायी थी, न जाने क्यों अब धूल हो गयी है।  जिस आँगन में... वो! कुर्सियों का घर बनाया था, न जाने क्यों अब मुसाफिरों का मुकाम बन गयी है।  हमारी यादें उस आँगन में सिमटी हुई,  अब न जाने किस-किस की तस्वीर हो गयी है, ताश छुपाये कोने वाला कमरा भी ढेर हो गया है।  उससे भी पहले ढेर हो गयी वो बालकनी, जहाँ नाना संग *ब्यास को घूरा करते थे।  वो कहते हैं कि सरकार सड़क बढ़ा रही है... घर बिखरता देख रही आँखों में,  दर्द का सैलाब उनके भी है।। हमारे बचपन के किस्सों को न जाने कितने पहिये कुचलने लगे हैं।  शिकायत करूँ ? क्या कहूं !  दिल हल्का करने के लिए तू भी साथ नहीं है।  हमारी हंसी की फुलकारियों को , न जाने कितने हॉर्न शांत कर गए हैं ! खबर दे दूँ तुझे, कि अब उस गेट पर कभी झूलना नहीं होगा, उस खेत के पेड़ों पर फिर चढ़ना नहीं होगा, उस चूल्हे की गर्माहट में खुद को सेकना नहीं होगा, वो कहते हैं कि सरकार सड़क बढ़ा रही है... छुट्टियों के उस अड्डे को बिगड़ता देख रही आँखों में,  दर्द का सैलाब